Tuesday, January 20, 2009

शेर - 8

वतन की खस्ताहाली से मतलब नहीं उनको
वतन के शिल्पी होकर जो गददार बन बैठे।

Sunday, January 18, 2009

शेर

झौंके बन चुके हैं हम हवाओं के

तेरी आँखों को अब हमारा इंतजार क्यों है।

Monday, January 12, 2009

बोल-अनमोल

" रंग, रूप, आकार, जाति, धर्म, सम्प्रदाय मनुष्य की पहचान बन सकते हैं किंतु ये मनुष्य को महान नहीं बना सकते। "

Friday, January 9, 2009

शेर 6

‘उदय’ तेरी नजर को, नजर से बचाए,
जब-भी उठे नजर, तो मेरी नजर से आ मिले।
(नजर = आँखें , नजर = बुरी नजर/बुराई)

Monday, January 5, 2009

शेर - 5

उदय’ तेरी आशिकी, बडी अजीब है
जिससे भी तू मिला, उसे तन्हा ही कर गया।