Sunday, May 31, 2009

बोल-अनमोल

* 27 *
“मुझे उस पल का इंतजार है जब मैं स्वयं पर गर्व कर सकूं।”
* 26 *
“जब तक तुम्हे, किसी ने पागल नही समझा, तुम कैसे सोच सकते हो कि मंजिल की ओर सही रास्ते पर हो।”
* 25 *
“मुझे विरासत में क्या मिला, शायद कुछ नहीं, पर मैं अपने बच्चों को विरासत में कुछ देना चाहता हूँ, पर क्या?”

Saturday, May 30, 2009

बोल-अनमोल

* 24*
"प्रतिदिन एक ऎसा कार्य अवश्य करें जिसके परिणाम स्वरूप आत्मसंतुष्टि प्राप्त हो।"
* 23 *
"कल्पनाएँ सदैव ही रोचक व मनभावन होती हैं।"
* 22 *

"अज्ञानतावश हुई भूल का सुधार अविलंब करें।"
* 21 *

"जिनके पास विकल्प नहीं हैं उन्हे निराश नही होना चाहिये।"
* 20 *
"प्रत्येक मनुष्य स्वयं को महान मानता है किंतु वह व्यवहार मे महानता से परे होता है।"

Wednesday, May 27, 2009

शेर

शेर - 57
खुदा की सूरतें हैं क्या, खुदा की मूरतें हैं क्या
न तुम जाने, न हम जाने ।
शेर - 56
अंधेरे जिन्हे रास नही आते
उनकी राहों मे रौशनी खुद-व-खुद आ जाती है।
शेर - 55
चलो लिख दें इबारत कुछ इस तरह
जिसे पढकर रस्ते बदल जाएँ।

Tuesday, May 26, 2009

शेर - 54

शेर - 54
वो भी तन्हा रह गए, हम भी तन्हा रह गए
उनकी खामोशियाँ, भी सिसकती रह गईं।
शेर - 53
फक्र कर पहले जमीं पर
फिर करेंगे आसमां पर।
शेर - 52
होते हैं हालात, मौत से बदतर
जो जीते-जी मौत दिखा देते हैं।

Monday, May 25, 2009

शेर - 51

शेर - 51
हम जो लिख दें, तो समझ लो क्या लिखा है
तुम जो पढ लो, तो समझ लो क्या लिखा है।
शेर - 50
दौलतें बाँधकर पीठ पर ले जायेंगे
जमीं पे गददारी के निशां छोड जायेंगे।
शेर - 49
क्यूँ रोज उलझते-सुलझते हो मोहब्बत में
क्या हँसते-मुस्कुराते जीना खुशगवार नहीं ।

Sunday, May 24, 2009

शेर

शेर - 48
तौबा कर लेते मोहब्बत से
गर तेरे इरादे भाँप जाते हम।
शेर - 47
चमचागिरी का दौर बेमिसाल है
चमचों-के-चमचे भी मालामाल हैं।

Saturday, May 23, 2009

शेर - 46

रोज सपनों मे तुम यूँ ही चले आते हो
कहीं ऎसा तो नहीं, सामने आने से शर्माते हो।

Friday, May 22, 2009

शेर - 45

कदम-दर-कदम रास्ते घटते गए और फासले बढते गये
फिर हौसले बढते गये और मंजिलें बढती गईं ।

Thursday, May 21, 2009

शेर - 44

‘खुदा’ तो है ‘खुदा’ तब तक, जब तक हम ‘खुदा’ मानें
कहाँ है फिर ‘खुदा’, जब न ‘खुदा’ मानें

Wednesday, May 20, 2009

शेर - 43

‘उदय’ जाने, अब हमारी चाहतें हैं क्या
अब तक जिसे चाहा, वही बेजुवाँ निकला।

Tuesday, May 19, 2009

शेर - 42

हमें परवाह नही कि सितारे आसमां मे हों
हम तो देखते हैं आसमां ,सुकूं के लिये ।

Monday, May 18, 2009

शेर - 41

हमारी दोस्ती, ‘खुदा’ बन जाए है इच्छा
अब खुशबू अमन की, ‘खुदा’ ही बाँट सकता है ।

Sunday, May 17, 2009

शेर - 40

तेरी मासुमीयत की दास्तां, कितनी सुहानी है
दिलों के कत्ल कर के भी, बडे बेखौफ बैठे हो ।

Saturday, May 16, 2009

शेर - 39

दुश्मनी का अब, वक्त नही है
अमन के रास्ते मे, काँटे बहुत हैं।

Friday, May 15, 2009

बोल-अनमोल

“समय व पैसे का सदुपयोग ही भविष्य को सुनहरा बनाता है।”

Thursday, May 14, 2009

बोल-अनमोल

“लेखन एक कला है, शब्दों की रचना, लेख, कहानी, कविता, गजल, शेर-शायरी नवीन अभिव्यक्तियाँ होती हैं, अभिव्यक्तियों के भाव-विचार सकारात्मक अथवा नकारात्मक हो सकते हैं किंतु इन अभिव्यक्तियों के आधार पर लेखक की मन: स्थिति का आँकलन करना निरर्थक है।”

Wednesday, May 13, 2009

शेर - 38

अभी भी वक्त है यारा, पलट के देख ले हमको
खुदा जाने, फिर कभी मौका न आयेगा ।

Tuesday, May 12, 2009

शेर - 37

कभी तुम रोज मिलते हो, कभी मिलते नहीं यारा
तुम्हारी ये अदाएँ भी, क्या कातिल अदाएँ हैं।

Monday, May 11, 2009

शेर - 36

छोड दूँ मैं मैकदा, क्यों सोचते हो
कौन है बाहर खडा, जो थाम लेगा।

Sunday, May 10, 2009

शेर - 35

क्यूँ खफा हो, अब वफा की आस में
हम बावफा से, बेवफा अब हो गये हैं।

मदर्स डे

“माँ के आशिर्वाद में नाम, यश, कीर्ति, सुख, समृद्धि , धन, बैभव, सम्पदा समाहित है।”

Saturday, May 9, 2009

बोल-अनमोल

“ परिवर्तन के लिये सिर्फ हमारी अच्छी सोच पर्याप्त नहीं है, परिवर्तन तो व्यवहारिक कार्यों से ही संभव है।”

Friday, May 8, 2009

बोल-अनमोल

“भ्रष्टाचार पर नियंत्रण अत्यंत आवश्यक हो गया है यदि अब भी भ्रष्टाचार पर अंकुश का प्रयास नहीं किया गया तो भ्रष्टाचार दीमक की भाँति सम्पूर्ण व्यवस्था को खोखला कर देगा और सभी इसकी चपेट में आकर असहाय हो जायेंगे।”

Thursday, May 7, 2009

शेर - 34

तू तन्हा क्यों समझता है खुद को ‘उदय’
हम जानते हैं कारवाँ तेरे साथ चलता है।

Wednesday, May 6, 2009

शेर - 33

रोज आते हो, चले जाते हो मुझको देखकर
क्या तमन्ना है जहन में, क्यूँ बयां करते नहीं।

Tuesday, May 5, 2009

शेर - 32

तुम्हे फुर्सत-ही-फुर्सत है, ‘आदाब-ए-मोहब्बत’ की
हमें फुर्सत नहीं यारा, ‘सलाम-ए-मोहब्बत’ की ।

Sunday, May 3, 2009

बोल-अनमोल

“भ्रष्टाचार से अर्जित सम्पत्ति परिजनों को पथभ्रष्ट कर देती है तथा परिवार विखण्डित होने लगता है, यह स्थिति भ्रष्टाचारी स्वयं आँखों से देखता है।”

शेर - 31

कभी हम चाहते कुछ हैं, हो कुछ और जाता है
जतन की भूख है ऎसी, अमन को भूल जाते हैं ।

Friday, May 1, 2009

शेर - 30

हम जानते हैं तुम, मर कर न मर सके
हम जीते तो हैं, पर जिंदा नही हैं।