Monday, June 29, 2009

शेर - 78

शेर - 78
कहां अपनी, कहां गैरों की बस्ती है
जहां देखो, वहीं पे बम धमाके हैं।
शेर - 77
लिखते-लिखते क्या लिखा, क्या से क्या मैं हो गया
पहले जमीं , फिर आसमाँ, अब सारे जहां का हो गया।
शेर - 76
सजा-ए-मौत दे दे, या दे दे जिंदगी
चाहे अब न ही कह दे, मगर कुछ कह तो दे।

Monday, June 22, 2009

जमीं पे, गम के साये में, खुशी हम चाहते हैं।

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बसा लो तुम हमें, अपने गिरेबां में
दिलों में अब, है आलम बेवफाई का।
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वो मिले, मिलते रहे तन्हाई में
भीड में, फिर वो जरा घबरा गये।
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आज दुआएँ भी हमारी, सुन लेगा ‘खुदा’
जमीं पे, गम के साये में, खुशी हम चाहते हैं।
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तुमने हमारी दोस्ती का, क्यूं इम्तिहां लिया
तुम इम्तिहां लेते रहे, और दूरियाँ बढती रहीं।
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मिट्टी के खिलौनों की दुकां, मैं अब कहां ढूंढू
बच्चों के जहन में भी, तमंच्चे-ही-तमंच्चे हैं।

Monday, June 15, 2009

बोल-अनमोल

* 33 *
“जो लोग मेरे समर्थक व अनुयायी हैं वे हमेशा मेरी प्रसंशा करेंगे, किंतु मुझे उन लोगों की आवश्यता है जो मुझे यह बोध करायें कि मुझसे कहाँ चूक हो रही है।”
* 32 *
“हमारी अच्छी सोच की सार्थकता तब है जब हम उसे कार्यरूप में परिणित करें।”
* 31 *
“स्त्री-पुरुष की संरचना व उत्पत्ति नवीन सृजन के दृष्टिकोण से की गई है इसलिये ही वे एक-दूसरे के पूरक हैं।”
* 30 *
“सच्चाई छिपाकर झूठी शान के लिये दिखावे का जीवन जीना झूठी महत्वाकाँक्षा है जो एक दिन मनुष्य को आत्मग्लानी के सागर में डुबोकर जीना दुस्वार कर देती है।”
* 29 *
“पद की मर्यादा के अनुरुप कार्य न करना, व्यवस्था को बिगाडना है।”
* 28 *
“भाग्य के भरोसे बैठना उचित नहीं है, कर्म भी भाग्य को सुनहरा बनाते हैं।”

Monday, June 8, 2009

शेर - 70

शेर - 70
मेरे अंदर ही बैठा था ‘खुदा’, मदारी बनकर
दिखा रहा था करतब, मुझे बंदर बनाकर।
शेर - 69
कब तलक तुमको अंधेरे रास आयेंगे
झाँक लो बाहर, उजाले-ही-उजाले हैं ।
शेर - 68
छोड के वो मैकदा, तन्हा फिर हो गया
हम दोस्त नहीं , तो दुश्मन भी नहीं थे।
शेर - 67
हम भी करेंगे जिद, अमन के लिये
देखते हैं, तुम कितने कदम साथ चलते हो।
शेर - 66
दिखाते हो वहाँ क्यूँ दम, जहाँ पे बम नही फटते
बच्चों के खिलौने तोडकर, क्यूँ मुस्कुराते हो।

Wednesday, June 3, 2009

शेर

शेर - 65
‘मसीहे’ की तलाश में दर-दर भटकते फिरे
‘मसीहा’ जब मिला, तो अपने अन्दर ही मिला।

शेर - 64
हो शाम ऎसी कि तन्हाई न हो
मिले जब मोहब्बत तो रुसवाई न हो।

शेर - 63
प्यार हो, तो दूरियाँ अच्छी नहीं
दुश्मनी हो, तो फिर दोस्ती अच्छी नहीं।
शेर - 62
सत्य के पथ पर, अब कोई राही नहीं है
गाँधी के वतन में, अब कोई गाँधी नहीं है ।
शेर - 61
मेरी महफिल में तुम आये, आदाब करता हूँ
कटे ये शाम जन्नत सी, यही फरियाद करता हूँ ।

Monday, June 1, 2009

शेर

शेर - 60
तेरी खामोशियों का, क्या मतलब समझें
तुझे उम्मीद है, या इंतजार है ।
शेर - 59
वक्त गुजरे, तो गुजर जाये
तेरे आने तक, इंतजार रहेगा हमको ।
शेर - 58
आसमां तक रोशनी चाहते क्यों हो
घरों के अंधेरे तो दूर हों पहले ।