Thursday, December 22, 2011

... चवन्नी छाप कहता है !

आज सुबह ही उसे ट्रेन में बिठा के आया हूँ
और लग रहा है जैसे सदियाँ हुई हैं !
...
कुछ तो रहम कीजिये हुजूर
बेचारा गूंगा है कुछ कह नहीं सकता !
...
कौन छोटा या कौन बड़ा है, समझ पाना मुश्किल लगे है
ये एक दूजे की शान में, बाअदब सिर झुका रहे हैं !
...
'खुदा' जाने, वो खूबसूरत है भी या महज अफवाहें हैं
हमें तो बस इन आँखों का धोखा लगे है !
...
वो 'औघड़' है मगर सौ टके की बात कहता है
दिल्ली के तमाशे को, चवन्नी छाप कहता है !

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

काश हम भी औघड़ हो सकते..

सूर्यकान्त गुप्ता said...

jay baba augharnaath ki...."दिल्ली के तमाशे को, चवन्नी छाप कहता है !" jay johar.....

Unknown said...

nice ...
वो 'औघड़' है मगर सौ टके की बात कहता है
दिल्ली के तमाशे को, चवन्नी छाप कहता है !