Friday, December 16, 2011

सच ! हमें दफ्न कर दो !!!

हमें, दफ्न कर दो !
कौन कह रहा है
कि -
हम ज़िंदा हैं !
हम मर चुके हैं, न जाने कब के !
अब यह याद भी नहीं है
कि -
किसने मारा है ?

भूख ने
गरीबी ने
बीमारी ने
मंहगाई ने
सरकारी नुमाइंदों ने
या
दिखावटी सरकार ने !

या फिर -
भूकंप के झटकों ने
सुनामी की लहरों ने
आग उगलती गर्मी ने
या
कड़कडाती ठण्ड ने !

या फिर -
फर्राटे से भागती किसी गाडी ने
किसी बन्दूक की गोली ने
या
किसी बम के धमाके ने !

पर,
यह सच है, यह तय है !
कि -
हम मर चुके हैं !!
तुम्हारा जब जी चाहे -
हमें, दफ्न कर दो !!
सच ! हमें दफ्न कर दो !!!

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