Thursday, January 26, 2012

... वो सहम के मिलते हैं !

कुछ पल को ही बिखरा है, ये सन्नाटा
क्यूँ लगता है मुझको ये सदियों-सा है ?
...
दिलों की धड़कनें, तूफ़ान सी चल रही हैं
कहीं तुम तो नहीं, जो उन्हें भाने लगे हो !
...
क्या गजब की शान-औ-शौकत है उसकी
देख के लगता नहीं कि चोर-उचक्का है !
...
गम नहीं है, कि वो दोस्त होकर भी जलते हैं
खुशी इस बात की, कि वो सहम के मिलते हैं !
...
सच ! गजब के दस्तूर हुए हैं मेरे मुल्क में 'उदय'
उनकी बातें झूठी हैं, और अपनी बातें सच्ची हैं !

2 comments:

Rajesh Kumari said...

गम नहीं है, कि वो दोस्त होकर भी जलते हैं
खुशी इस बात की, कि वो सहम के मिलते हैं !
...sabhi sher badhia hain parantu ye sher mujhe bahut pasand aaya.

प्रवीण पाण्डेय said...

दस्तूर ए दोस्ती के पैमाने बदल गये हैं हुजूर..