Thursday, March 8, 2012

चाहत ...

तुम्हारी मर्जी
जब तक
जी चाहे
तुम
खामोश बनकर चाहते रहो !
पर
मैं !!
कहो -
कब तक खामोश रहूँ ??

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

मौन की सीमायें तकना कठिन है..