अब उनसे दौड़, अपनी कब रही थी 'उदय'
जिन्होंने जीत के तमगों में गड्ड-मड्ड कर लिया था ?
...
उफ़ ! हुआ वही, जिसका अंदेशा था 'उदय'
लोगों ने, खुद को 'खुदा' कहना शुरू कर दिया है ?
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बुझते-बुझते फिर भभक उठता हूँ
बस, तेरी फूंक में जोर इत्ता ही है ?
1 comment:
फूँक में दम है..
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