अब मेरे जख्मों को तू इतना भी मत कुरेद
कि - दर्द मिट कर कहर बन जाए तुझपे !!
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उफ़ ! जिधर देखो उधर झुनझुनों का राग है
चाटुकारिता के दौर में, हुई बांसुरी बेराग है ?
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आओ 'उदय', किसी गैंग को टेक-ओवर कर लें
वैसे भी, नई बनाने की, फुर्सत यहाँ है किसको ?
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