Sunday, June 17, 2012

होश-बेहोश ...


शाम होती नहीं कि - टुन्न हो जाता हूँ मैं 
तेरी यादों के मद में होश खो जाता हूँ मैं !

कभी पीता नहीं हूँ शराब के दो घूँट भी मैं 
गर न देखूं तुझे तो बेहोश हो जाता हूँ मैं !!

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रेम की पराकाष्ठा ही कही जायेगी यह..