Monday, August 20, 2012

मर्जी ...


वक्त के तूफां 'उदय', इस जहाज को भी डुबो देंगे
गर वक्त रहते, ... पीठ के पिट्ठू फेंके नहीं जाते ? 
... 
अपनी मर्जी का, कहाँ हिसाब-किताब है 'उदय' 
अब तो, उनकी मर्जी में ही है अपनी मर्जी ?? 
... 
काश ! समय रहते, उन्ने पौंछ ली होती धूल चश्मे की 
तो आज, वो देशभक्तों को देशद्रोही नहीं कहते ? 

No comments: