Wednesday, October 17, 2012

बेशरम ...


गर हम ठोक दें, आज, इक सत्यरूपी कील उनके ताज में 
तो तय है 'उदय', वे हमारी ... कब्र खोदने में लग जाएंगे ?
... 
कल तक जो, मेमने की तरह मिमिया रहते थे 'उदय' 
न जाने क्या हुआ, वो आज ... गीदड़ भभकी दे रहे हैं ? 
... 
वे बड़े बेशरम हैं 
गर, हारने लगे, तो नंगे हो जाएंगे !
... 
गर, गुनहगारों की कतार,कश्मीर से कन्याकुमारी तक लंबी न होती 
तो शायद, ....... वे, ......... जाँच को ....... तैयार भी हो गये होते ?
... 
जब पूरी-की-पूरी खाप, भ्रष्टाचार में लिप्त हो 'उदय' 
फिर, क्या सबूत, क्या गवाही, और क्या आरोप ??

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