Wednesday, November 7, 2012

जिंदाबाद ...


बहुत हुई, बहुत हो चुकी, 
गांधीगिरी दोस्तो 
अब तो, 
चलो, 
उठो, 
उठाएं लट्ठ, 
और ... 
फोड़ दें -
भ्रष्टाचारियों ... 
औ ...
देशद्रोहियों को !
क्यों ? ... क्योंकि - 
अब ... 
भ्रष्टाचारी ... सीधेतौर पर 
दादागिरी पे ...
और ........... देशद्रोही ... 
सीनाजोरी पे ... 
......... उतर आये हैं !
इंकलाब ....... जिंदाबाद !!

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