Monday, February 11, 2013

ट्वीटर कहानियाँ - 01


01
"महोदय, लिखते तो आप भी हैं..पर मेले में आपकी..कहीं कोई किताब नहीं दिखी ?...हाँ, बस यूँ समझ लो..अभी अपना किसी के संग..सौदा नहीं बैठा !!"
... 
02
"बाबू साहब, डेढ़ घंटे का ही तो सफ़र है कुछ ले-दे के..अच्छा, तो निकालो दो सौ रुपये..सॉरी सर..(सौ का नोट देते हुए) टिकिट ही बना दें..प्लीज !"
...
03
"राज, तुमने मुहब्बत इजहार करने में थोड़ी देर कर दी ... कल रात ही ... मैं किसी और की हो गई हूँ ... प्लीज ... सॉरी !!"
... 
04
"सुनो साहब जी,.. बहुत हुई, बहुत कर ली ... बंधुआ मजदूरी ... अब तो, आज से ... खुद के खेत को जोतेंगे ... गेंहू-चना उगाएंगे ... जै राम जी की !"

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह, नये अनुप्रयोग