Monday, March 18, 2013

ब्रेक-अप ...


सच ! जिस्म से रूह निकल रही है मेरे 
तनिक और ठहर जाओ तो सुकूं मिले ?
... 
न कद है न काठी है, न दिमाग है न खुबसूरती 
फिर भी, .......................... वो सरकार हैं ? 
... 
अब जब ब्रेक-अप हो ही रहा है तो हिसाब-किताब पूरा कर लो 
कहीं ऐंसा न हो, दो-चार चुम्बन तुम्हारे हमारे पास रह जाएँ ?
... 
जनता को मिर्गी की बीमारी है, या सत्ताधारियों को 
कोई तो बताये 'उदय', हम जूता सुंघायें किसे ????
... 
आओ किसी पुरानी बात को याद कर के ठहाके लगा लें 
वर्ना अब, ............. ठहाकों की वजहें मिलती कहाँ हैं ?
... 

5 comments:

Jyoti khare said...

सार्थक और
सुंदर प्रस्तुति
बधाई
agrah hai mere blog main sammlit ho
jyoti-khare.blogspot.in

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत खूब..

Unknown said...

आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (20-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |

शिवम् मिश्रा said...

बहुत खूब !

आज की ब्लॉग बुलेटिन होली तेरे रंग अनेक - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Kailash Sharma said...

बहुत खूब!