Friday, March 29, 2013

दगाबाज ...


न तो तुम चैन से मिलते हो, औ न मिलने देते हो 
इस कदर बेचैनी का, ..........हम सबब तो जानें ?
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लो, एक तो वो खुद ही, पंदौली दे रहे सरकार को 
और हमसे कहते हैं, कि -........दगाबाज हैं वो ?
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कभी टेड़ी, तो कभी सीधी, खुद-ब-खुद हो जाती है 
उफ़ ! बहुत 'मुलायम' है................दुम उनकी ?
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हमने तो 'उदय', उनके दिल को सहलाया भी था, औ बहलाया भी था 
मगर, फिर भी ...................................... वो दगाबाज निकला ?
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अब इसमें दोष उनका तनिक भी नहीं है 'उदय' 
दरअसल, खरीददार ही बड़ा हुनरमंद निकला ?
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