Saturday, May 4, 2013

पैंतरेबाजी ...


खेत उनका, खलिहान उनका, और अब तो फसल भी हुई है उनकी 
कैसे ?.. आखिर वे सरकार हैं, व्यापारी हैं, और दलाल भी तो हैं ??
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हमारा उनसे 'उदय', कुछ इनडायरेक्ट सा कनेक्शन है 
भरी महफ़िल में, कैसे रु-ब-रु हो जाएँ हम उनसे ???
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किसने रोका है तुम्हें, कस के बरस जाया करो 
बन के बूँद-बूँद,......अब और न सताया करो ?
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उनकी राजनैतिक पैंतरेबाजी भी कमाल की है 'उदय' 
बिन पेंदी के होकर भी कहीं न कहीं थम ही जाते हैं ?
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वो अपने ख़्वाबों में सारी दुनिया जला लेते हैं 
बात जब उठी, तो एक बिड़ी न सुलगी उनसे ?
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