Sunday, September 8, 2013

मौसेरे भाई ...

दुःख इस बात का है 'उदय' 
कि - 
अब भी 
वो सुधरने को तैयार नहीं हैं, 
और फिर भी 
न जाने कितने 
उन्हीं पे, उन्हीं लोगों पे 
आस लगाए हैं 
उन्हें ही, तक रहे हैं 
जबकि -
सब जानते हैं 
वे चोर-चोर मौसेरे भाई हैं ?

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है..

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।