Saturday, April 19, 2014

वहम ...

सच ! पहले वो अपनी कीमत तो तय करें 
फिर हम बताएँगे असली कीमत उनकी ?
… 
किताबों में उनका पूरा हिसाब-किताब है 'उदय' 
बस, हमें तुम्हें और सब को जोड़ना-घटाना है ?
…  
वे बिना पेंदी के होके भी लुढ़के नहीं हैं अब तक 
सच ! कमाल है !! गजब का बैलेंस है उनका !!!
… 
छल, झूठ, फरेब, और चालाकी 
बस, है तेरी पहचान इत्ती-सी ?
… 
गर्जनाएं वहम पैदा कर रही हैं 'उदय' 
और खामोशियाँ ? … सिर्फ चोटें ??
… 

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