Tuesday, April 8, 2014

हुडदंग ...

जिनकी, खुद के ही घर में अनसुनी हो जाती है 
भला उनकी 'उदय', हम………… क्यों सुनें ?
… 
वे, बे-वजह ही राजनैतिक मैदां में हुडदंग मचा लगा रहे हैं 
किसी दिन, बाबा की तरह वे भी औंधे मुंह नजर आयेंगे ? 
… 
उनकी, खुद की नईया है, वे खुद ही डूबा रहे हैं 
अब इसमें, इस बारे में, हम क्या कहें 'उदय' ? 
… 
किस जगह रखूँ तेरी मुस्कान मैं यारा 
सिर से पाँव तक कब का भरा पड़ा हूँ ?
… 
कम से कम आज तो सच कह दो यार 
भले चाहे बाद में एप्रिल फूल कह देना ?