Tuesday, May 27, 2014

चरित्र ...

जीत आसां थी पर चुनौतियां कठिन हैं
अब देखते हैं 'उदय', कितने टंच हैं वो ?
… 
न हैरां हैं, न परेशां हैं
बस, वक्त गुजर रहा है 'उदय' ?
चरित्र उनका भी लाजवाब है 'उदय'
चित्त उनकी, पट्ट उनकी, औ है अंटा भी उनके बाप का ?
खुली जब पोल उनकी तो सकपका गए
जो खुद को 'खुदा' कह रहे थे कल तक ?

कहीं थक न जाऊं खुद अपनी तकदीर लिखते लिखते
'उदय' तुम, … यूँ ही, … मेरा हौसला बनाये रखना ?

1 comment:

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

कहीं थक न जाऊं खुद अपनी तकदीर लिखते लिखते
'उदय' तुम, … यूँ ही, … मेरा हौसला बनाये रखना ?
बहुत सुन्दर सुन्दर भाव ..बधाई
भ्रमर५