Monday, May 5, 2014

आस ...

यकीं कर, यकीं रख  
रंज-औ-गम के बादल छट जायेंगे 
इक दिन … तुझे भी … 
खुद ब खुद 'खुदा' मिल जायेंगे ??
… 
सच ! लम्हें लम्हें में,… उन्ने,… झूठ के दांव चले हैं
ब्लाइंड गेम है, हार भी सकते हैं…जीत भी सकते हैं ?
… 
सिर्फ प्रचारों और दुष्प्रचारों से सरकारें बनती होतीं 'उदय' 
तो शायद, अब तक, कइयों की सरकारें बन गईं होतीं ??
…  
जबकि …
दिल में, इक आस लगाये बैठे हैं
फिर भी …
न जाने क्यूँ, दूर वो हमसे बैठे हैं ?

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