क्यूँ मियाँ, क्यूँ तुम … आज इतने ठप्प बैठे हो
हमने तो सुना था गप्प से तुम बाज नहीं आते ?
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सच ! तेरे इस नूर पे, सिर्फ हक़ हमारा है कहाँ
सच ! तेरे इस नूर पे, सिर्फ हक़ हमारा है कहाँ
जिसे देखो उसी की नजरें तुझपे जाके हैं टिकीं ?
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खुद से खुद की शिकायत
इतना सितम क्यूँ यारा ?
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अब तुम जुदा होके भी खफा हो यारा
भला अब इसमें गल्ती कहाँ है मेरी ?
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कैसे किस्से, औ कैसी कहानी 'उदय'
चोरों की बस्ती है, चोरों का राज है ?
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