Friday, July 11, 2014

आफत की पुड़िया ...

मुफलिसी सा तम्बू है, और बादशाही ठाठ हैं
कर्ज औ मौज, दोनों … दोनों साथ साथ हैं ?
अब तक, किसी ने हमें गुरु नहीं पुकारा है 'उदय'
देखते हैं, अभी… शाम-रात तक का वक्त है ??

कभी कुछ - कभी कुछ
वो, बड़ी आफत की पुड़िया है 'उदय' ?
...
किस ओर है नजर, किस ओर हैं ख़्वाब
तनिक अहसास करो, कोई साथ साथ है ?

ये और बात है, किसी की उधारी चुकता नहीं की हमने
पर, ले के भागने की, …… फितरत नहीं है हमारी ??
...

No comments: