Saturday, July 5, 2014

अच्छे दिन ...

हमने तो सिर्फ
अपने लोगों से अच्छे दिन आने की बात कही थी 'उदय'
गर, कुछ मूर्खों औ धूर्तों ने भी
गलतफहमी पाल ली, तो इसमें हमारा क्या कुसूर ???

हम जानते हैं 'उदय', कि वो झूठ के पुलिंदे हैं
फिर भी, वो………………हमारे शहंशाह हैं ?

दर्द और दवा, दोनों ही दुकानें अपनी हैं
बस, कुछ इस तरह …
चित्त भी अपनी है औ पट्ट भी अपनी ?

1 comment:

देवदत्त प्रसून said...

अच्छी प्रगतिवादी रचना!