Friday, October 24, 2014

कच्ची बुनियाद ...

वक्त के साथ बदलने को वो तैयार नहीं थे 'उदय' 
उफ़ …सच …लो, अब वक्त बदल रहा है उन्हें ?
… 
न रंज…न गम…न गिला…न शिकवा  
मुहब्बत अपनी कुछ ऐसी ही है 'उदय' ? 
… 
अक्सर …
रूठ जाते हैं - टूट जाते हैं 
रिश्ते, घरौंदे, दिल, 
कच्ची बुनियाद के ?
… 
तू इक बार रूठ के तो देख 
गर न मना लूँ तो कहना ? 
… 
सच ! आज यहां, कल वहां, तो परसों कहीं और होंगे 
हम मुसाफिर हैं 'उदय', सफर ही अपनी जिंदगी है ? 
 

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