Tuesday, December 2, 2014

माजरा ...

'खुदा' की कसम, वो बड़े जल्लाद हैं
रहम पाकर भी, ..... मस्ता रहे हैं ?
… 

कुछ इस तरह का माजरा है 'उदय'
शक्ल भेड़िये-सी है, पर उसे बाघ बता रहे हैं लोग ?
.... 
मुफलिसी के किस्से भी बड़े अजीब हैं
वो कहते हैं, कि हम तुमसे अमीर हैं ?
… 

सच ! तूने, होंठों से छूकर मुझे डायमंड बना दिया 
वर्ना जिंदगी किसी पत्थर से कम नहीं थी अपनी ? 
हम तो तुम्हें चाहते ही रहेंगे
बस तुम, …
जी को मचलने मत देना ?? 


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