Friday, June 24, 2016

दो भाई

कल रात
दो भाई ... अतिउत्साह में
आपस में लड़ पड़े थे,

मुद्दा कुछ नहीं था
फिर भी
आपस में फट पड़े थे,

खून .. खंजर .. जूते .. और गालियाँ ...
तमाम चीजें
गवाह बन के ... बिखरी पडी हैं,

पुलिस कार्यवाही हो ...
मगर कैसे ?
दोनों तरफ से
FIR अब तक हुई नहीं है,

शायद
अभी भी
कहीं कोई गुंजाईश दिख रही है
समझौते की,

मल्हम का इंतज़ार है ...
कराह रहे हैं दोनों
दोनों घरों के ... दरवाजे ..
अभी भी .. किसी चाह में खुले पड़े हैं ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

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