Sunday, July 24, 2016

सच ... सच है ... ईश्वर है ... ?

सच तो सच होता है
लोग ... मानें ..... या न मानें
लोग.. सुनें या न सुनें.. या अनसुनी कर दें

सच ... दीवार पे लिखा हो
चट्टान पे लिखा हो
या जुबाँ ... या दिलों पे .....

लोग पढ़ रहे थे
पढ़ रहे हैं
पढ़ते रहेंगे ...

क्यों ? ...
क्योंकि .. सच ... सच है
और... सच ही रहेगा

तुम्हें मानना पडेगा
उन्हें मानना पडेगा
हमें ... हम सब को मानना पडेगा

सच ... कड़वा है ... या मीठा है
तीखा है ... या फीका है ...
इन सब ..... सवालों से परे है

क्योंकि ... सच ... सच है ...
जो.. अमिट है ... अमर है ... नश्वर है ...
सच ... सच है ... ईश्वर है ... ???

~ श्याम कोरी 'उदय'

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