Friday, August 5, 2016

'रब' जाने क्या मिला उन्हें....... रूठ के हमसे ?

कभी वक्त, कभी भाग्य, तो कभी हालात की रूसवाइयाँ थीं,
वर्ना ! आसमानों में.. कब के.. कइयों.. सुराख हो गए होते ?
... 
कभी रुके, कभी चले, कभी मचल से गए थे, 
सफ़र में... कभी पाँव... तो कभी ख़्वाब मेरे ? 
... 
सोच बदली, मिजाज बदले, फिर राहें बदल लीं 
'रब' जाने क्या मिला उन्हें....... रूठ के हमसे ? 
... 
उठा कट्टा......... ठोक दे साले को 
कल से, बेवजह फड़-फडा रहा है ?
... 
गर, दिल को, कुछ .. सुकूँ-औ-तसल्ली मिले 'उदय'
तो कुछ झूठे ... कुछ सच्चे ... ख्याल भी अच्छे हैं ?

~ श्याम कोरी 'उदय' 

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