Sunday, November 13, 2016

त्राहिमाम्-त्राहिमाम्

जिंदगी को दांव पे लगा दो
पूरा गाँव अपना है
हा-हा-कार मचे, या त्राहिमाम्-त्राहिमाम्
मचने दो,

हम सरपंच हैं
गाँव के,
हम मुखिया हैं
बस्ती के,

जो चाहेंगे वो करेंगे
लोग रोयें रोते रहें, मरते हैं मरते रहें
वैसे भी ... लोगों की आदत है ...
बात-बात पे रोने की .... ???

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