Friday, November 18, 2016

तमाशा ... !

तू कोई सबक सिखा
उसे या मुझे
या तो वो चेत जाए, या फिर मैं

रोज रोज
उसका गुब्बारे फुलाना, और मेरा उन्हें फोड़ देना
अब दर्शकों को भी रास नहीं आ रहा है

तालियों की गूँज ... दिन-ब-दिन ..
कम होते जा रही है
अब किसी नए तमाशे की जरुरत है ... ?

~ श्याम कोरी 'उदय'

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