Thursday, April 27, 2017

संकल्प ...

न अस्त ... न व्यस्त ... न त्रस्त ...
हो जीवन .. मेरा .. तेरा ..

तुम भी
जब चाहो तब मिलो मुझसे

मैं भी
हमेशा उपलब्ध रहूँ तुम्हारे लिए

जीवन में
हमेशा .. मौज-मस्ती .. बनी रहे

जीवन ...
हमेशा हँसता रहे .. बढ़ता रहे ...

आओ ... कुछ ऐसा ...
संकल्प लें .... हमेशा के लिए .... ?

Wednesday, April 26, 2017

भोंपू ...

कविता : भोंपू
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भोंपुओं की जरुरत क्या है
देवालयों में ..
इबादतों में ..

क्या हम ..
मन से .. मौन से .. आस्था से ..
ईश्वर का .. साक्षात्कार नहीं कर सकते ?

क्या हमें .. ढोंग की जरुरत है
भोंपू की जरुरत है
पूजा के लिए .. इबादत के लिए ..... ??

Saturday, April 22, 2017

झूठ की आत्मा नहीं होती ...

जो सच है ... वह सदा सच ही रहेगा
इसीलिये कहते हैं ..
सदैव सच के साथ चलो ....

क्यों ? .. क्योंकि -
झूठ .. झूठ होता है ...

झूठ की .. आत्मा नहीं होती
दिल नहीं होता .. धड़कनें नहीं होतीं

झूठ .. कभी दो कदम पे ..
तो कभी दो दिनों में ..
दम तोड़ देता है
नंगा .. बेपर्दा हो जाता है

जब .. तुम .. हम .. सभी .. जानते हैं

फिर क्यों ... हम ..
झूठ की उंगली पकड़ लेते हैं
झूठ को अपना सहारा बना लेते हैं
... क्यों .. क्यों .. क्यों ... ???

Thursday, April 20, 2017

मील के पत्थर ...

01
उसूल औ ख़्वाब
दोनों ... जरूरी हैं जिन्दगी में

वर्ना ...
जिन्दगी बेमतलब-सी ..

नीरस-सी ..
गुजरते रहेगी .. गुजर जायेगी ..

सब .. देखते रहेंगे ...
हम .. देखते रह जाएंगे ... ?
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02
अब तू
तजुर्बे-औ-हुनर की बात न कर,
कभी हम भी
मील के पत्थर थे हुजूर ....... ?
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03
बस .. कुछ यूँ समझ लो
चापलूसी काम आ गई,
वर्ना ! आज वो ..
औंधे मुँह पड़े होते .... ?

Friday, April 14, 2017

जो तुम कहो ...

01
काश ! तुझसा होता
कोई दूजा

तो ..
यकीन मान, इतनी बेचैनियाँ न होतीं

बात ... तुझसे बिछड़ने की नहीं है
तेरी चाहत की भी नहीं है

बात .. तुझसे हमसफ़र की है
तुझसे .. हमदम ... हमकदम की है .... ?
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02
मिजाज बदलें ...
ख्यालात बदलें ...
या ख़्वाहिशें बदल लें ...

जो तुम कहो ... ?
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03
भोर तो होनी ही है
जो जल्द ही हो जायेगी ...

नींद जब खुल ही गई
तो .. चल .. बढ़ें ... मंजिल की ओर

कुछ पगों का फासला
कुछ और कम हो जाएगा ...

चल .. बढ़ें ... मंजिल की ओर
भोर तो होनी ही है ... ? 

Monday, April 10, 2017

ईमान के पग ...

भले कुछ भी हो जाए .. 
पर .. हम .. जीते जी नहीं मरेंगे, 

भृष्टाचार की आंधी में .. 
कभी ... हम नहीं बहेंगे ..... 

लोग लगा दें .. चाहे जो कीमत 
पर .. स्वाभीमान का सौदा हम नहीं करेंगे, 

घुप्प अंधेरे हों .. या हो दूधिया चका-चौंध ... 
पर .. हमारे .. ईमान के पग .. कभी नहीं डगेंगे ... 

झूठी शान .. औ .. चका-चौंध की खातिर 
हम .. जीते जी नहीं मरेंगे .... ? 

भले कुछ भी हो जाए .. पर ... 
हमारे .. ईमान के पग .. कभी नहीं डगेंगे ... ??

Sunday, April 9, 2017

जिन्दगी ..

बहुत आसान था
मौज की जिन्दगी जीना,

मगर .... मैंने .....
ईमान नहीं बेचा .. ईमानदारी नहीं बेची,

जज्बात नहीं बेचे .. ख्यालात नहीं बेचे
लोगों ने चाहा बहुत .. पर ... स्वाभिमान नहीं बेचा,

खैर .. जो हुआ सो हुआ
रोटी .. रूखी-सूखी सही .. पर कभी भूखा नहीं सोया,

पर ... उसूल.. उसूल रहे
मैं.. मैं रहा ...

न हारे कभी .. न जीते कभी
चलते रहे .. बढ़ते रहे .. पर ... सच ....

बहुत आसान था
मौज की जिन्दगी जीना ..... ?

Friday, April 7, 2017

ज्योति ...

राम भी हैं मौन में
औ ...
है उनका पालना भी शांत,

जन्मभूमि पर 'उदय'
फैला अंधकार है,

कोई तो ...
ज्योति जलाये ..
ज्ञान की .. प्रकाश की ... ?