Monday, April 10, 2017

ईमान के पग ...

भले कुछ भी हो जाए .. 
पर .. हम .. जीते जी नहीं मरेंगे, 

भृष्टाचार की आंधी में .. 
कभी ... हम नहीं बहेंगे ..... 

लोग लगा दें .. चाहे जो कीमत 
पर .. स्वाभीमान का सौदा हम नहीं करेंगे, 

घुप्प अंधेरे हों .. या हो दूधिया चका-चौंध ... 
पर .. हमारे .. ईमान के पग .. कभी नहीं डगेंगे ... 

झूठी शान .. औ .. चका-चौंध की खातिर 
हम .. जीते जी नहीं मरेंगे .... ? 

भले कुछ भी हो जाए .. पर ... 
हमारे .. ईमान के पग .. कभी नहीं डगेंगे ... ??

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