Saturday, February 17, 2018

वक्त

वक्त घसीट रहा है
हम, घिसटते जा रहे हैं

घिसटते-घिसटते ..
हम, थोड़ा-थोड़ा छिलते जा रहे हैं

इक दिन ..
हम, पूरी तरह छिल जायेंगें

वक्त .. चलते रहेगा ...

किसी-न-किसी को
हर क्षण ... घसीटते रहेगा .... ?

- श्याम कोरी 'उदय'

Saturday, February 10, 2018

किलेबंदी

अगर .. वो चमचे नहीं होते ...
तो ..
वो ...
साहब के गले के गमछे नहीं होते,

यही दस्तूर है
हुनर है

साहब ... यही किलेबंदी है ....
शह है ... मात है .... !!

- श्याम कोरी 'उदय'